सौर ऊर्जा से रोशन हो रही इमारतें और घर
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राजधानी में सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाने के प्रति सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में रुझान बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह है सोलर पावर प्लांट लगाने के बाद महीने का िबजली बिल लगभग आधा हो रहा है। प्लांट की लागत भी पांच-छह साल में निकल आती है। इसलिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को यह फायदे का सौदा नजर आ रहा है।
डीबी स्टार
खेल एवं युवा कल्याण विभाग के टीटी नगर स्टेडियम में दो महीने पहले तक आठ लाख रुपए महीने बिजली का बिल आता था। लेकिन पिछले दो माह से यह घटकर आधा हो गया है। इस महीने बिल साढ़े तीन लाख रुपए का आया है। इसी प्रकार इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट के बिल में भी करीब 75 हजार रुपए महीने की बचत होगी। यह तो केवल दो उदाहरण हैं। शहर में ऐसी 34 सरकारी और तीन गैर सरकारी इमारतें हैं, जहां अब सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली का ही उपयोग किया जा रहा है। ऊर्जा विकास निगम के एक अधिकारी का कहना है कि प्लांट लगवाने के बाद बमुश्किल पांच से छह साल में लागत भी निकल आती है। इस कारण शहर के 100 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने घरों में दो से तीन किलोवॉट का सोलर पैनल लगवा लिया है। यह संख्या अभी और बढ़ेगी। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद नए आवेदन लिए जाएंगे।
लागत और लाभ
अगर आप अपने घर में एक किलोवॉट का प्लांट लगवाते हैं तो उसकी लागत करीब 55 हजार रुपए आएगी। पांच साल तक ऊर्जा विकास निगम इसका मेंटेनेंस करेगा और 25 साल तक की गारंटी प्लांट पर मिलती है। एक किलोवॉट से औसतन चार यूनिट बिजली बनती है। इसमें से यदि दो यूनिट बिजली ही उपभोक्ता ने इस्तेमाल की तो बाकी दो यूनिट बिजली सीधे बिजली कंपनी के पास चली जाएगी। इसके लिए एक नेट मीटरिंग उपभोक्ता के घर में लगाया जाता है। जिसकी मदद से उत्पादन, इस्तेमाल और बिजली कंपनी को जाने वाली यूनिट की जानकारी उपभोक्ता को प्रतिदिन मिल जाएगी। औसतन पांच से छह साल में सोलर प्लांट की पूरी लागत वसूल हो जाती है।
इन सरकारी इमारतों में लगे हैं प्लांट:
पुलिस मुख्यालय जहांगीराबाद- 100 किलोवॉट, संयुक्त संचालक कार्यालय आईटीआई गैस राहत कार्यालय गोविंदपुरा- 100 किवॉ, बीएसएनएल कार्यालय अरेरा हिल्स- 60 किवॉ, सुशासन एकेडमी भदभदा रोड- 100 किलोवॉट, एप्को पर्यावरण परिसर – 50 किलोवॉट, बीएसएनएल सिटी एक्सचेंज रॉयल मार्केट- 50 किलोवॉट, बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज अरेरा हिल्स- 105 किलोवॉट, बीएसएनएल ओल्ड सीटीओ न्यू मार्केट- 30 किलोवॉट, आईएसबीटी भोपाल में- 120 किलोवॉट, टीटी नगर स्टेडियम भोपाल में- 300 किलोवॉट, मंडी बोर्ड किसान भवन अरेरा हिल्स में- 40 किलोवॉट, बीएसएनएल स्टोर सीटीएसडी छोला रोड में- 20 किवॉ, सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्री स्टाफ प्रोग्राम में- 20 किवॉ, रोजा भोज एयरपोर्ट- 1000 किवॉ, एमपी बोर्ड ऑफिस- 200 किवॉ, अपेक्स बैंक ट्रेनिंग कॉलेज भोपाल- 30 किवॉ, ऊर्जा भवन शिवाजी नगर- 60 किवॉ, एमपी भोज विवि- 100 किलोवॉट, सीएम ऑफिस एवं निवास- 60 किवॉ, कृषि उपज मंडी समिति करोंद- 50 किवॉ इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट- 100 किवॉ, एमपी प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन- 70 किलोवॉट, क्षिप्रा गेस्ट हाउस एंड कान्हा गेस्ट हाउस राज भवन- 30 किलोवॉट, प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड – 100 किलोवॉट, गैर सरकारी इमारतें: स्कोप कॉलेज होशंगाबाद रोड – 20 किलोवॉट, अरेरा क्लब भोपाल – 15 किलोवॉट, ब्रिगेडियर त्रिवेदी मेमोरियल एजुकेशन सोसायटी भोपाल – 5 किलोवॉट।
आधे से कम हो गया बिल
हमारे यहां दो महीने पहले ही सोलर पैनल लगाया गया है। इस पर करीब 55 लाख रुपए की लागत आई है। संयंत्र लगने के पहले आठ लाख रुपए महीने का बिल आता था, जो कि इस महीने घटकर साढ़े तीन लाख रुपए हो गया। इस हिसाब से छह साल में हमारी पूरी लागत निकल जाएगी। – विकास खराडकर, समन्वयक, संचालनालय खेल एवं युवा कल्याण
75 हजार महीने का फायदा
एक महीने पहले ही कनेक्शन चालू हुआ। लगभग हमें 75 हजार रुपए महीने का फायदा होगा। क्योंकि हमारे यहां केवल दिन में बिजली इस्तेमाल होती है और रात की पूरी बिजली हम बेच देंगे। – आनंद सिंह, प्राचार्य आईएचएम
डिमांड बढ़ रही है
भोपाल में लगातार सोलर पावर प्लांट की डिमांड बढ़ रही है। सरकारी के साथ अब गैर सरकारी संस्थान भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। वहीं लोग अपने घरों में भी लगवा रहे हैं। क्योंकि प्लांट लगवाने के बाद बिल आधे से भी कम हो जाता है। मई के बाद हम दोबारा आवेदन लेना शुरू करेंगे। – संदीप सरन, जिला ऊर्जा अधिकारी, ऊर्जा विकास निगम