ऑफिस के पास रहने की सोच में हो सकता है बदलाव, बड़े घरों को तरजीह देंगे खरीदार !
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नयी दिल्ली। कोविड-19 महामारी के बाद ऑफिस के पास घर खरीदना या फिर किराये पर रहने का विचार बदल सकता है। हाल ही में ऐसी कई सारी रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिसमें कहा गया है कि कम्पनियां 50 फीसदी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे सकती हैं। ऐसे में कर्मचारी अब ज्यादा स्पेस और खुले इलाके में अपना घर बनाने का विचार कर रहे हैं।
खुले स्पेस में बनाएंगे घर !
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑफिस के पास घर की सोच अब कमजोर पड़ने लगी है। कहा जा रहा है कि लोग अब बाहरी इलाकों में ज्यादा स्पेस वालों घरों को तरजीह दे सकते हैं। ऐनरॉत प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स द्वारा पेश की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में शहरी इलाकों और बाहरी इलाकों के मकान की कीमतों में 54 से लेकर 70 फीसदी तक का अंतर है। अंग्रेजी अखबार द इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक कोविड-19 काल के बाद न सिर्फ किरायेदार बल्कि खरीदार भी बाहरी इलाकों में ज्यादा स्पेस वाले घरों को तरजीह देंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के शहरी इलाकों में 1000 वर्गफुट वाले स्टैंडर्ड फ्लैट की औसम कीमत 88 लाख 20 रुपए के आसपास है जबकि बाहरी इलाकों में इतना बड़ी फ्लैट करीब 37 लाख 50 हजार की कीमत में मिल रहा है। अगर हम इलाकों की बात करें तो शहरी सीमा में वैशाली, वसुंधरा, इंदिरापुरम, नोएडा, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन जैसे इलाकें शामिल हैं। जबकि बाहरी इलाकों में गाजियाबाद, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, सोहना, भिवाड़ी हैं।
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मुंबई में तो फ्लैट की कीमत आसमान छू रही है। शहरी इलाकों में 1000 वर्गफीट के फ्लैट की स्टैडर्ड कीमत 1 करोड़ 85 लाख के आसपास आंकी गई है। जबकि बाहरी इलाकों में यह घटकर 55 लाख 35 हजार है। ऐनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का मानना है कि घर खरीदने में वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट का अहम रोल होगा। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जब कर्मचारी को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मिल जाएगी तो वह खुले इलाके में पॉल्यूशन से दूर रहना ज्यादा पसंद करेगा बल्कि खचाखच भरे हुए शहरी इलाकों की तुलना में।