अनुदानित सोलर पंप नीति में बदलाव से प्रदेश की एमएसएमई मुश्किल में
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किसानों को दिए जाने वाले अनुदानित सोलर पंप संबंधी नीति में बदलाव से प्रदेश के करीब 100 छोटे उद्योग मुश्किल में फंस गए हैं। समय रहते राज्य सरकार ने उचित कदम नहीं उठाया तो 50,000 श्रमिकों व व्यवसायियों को रोजगार से हाथ धोना पड़ सकता है। दरअसल, अभी तक अनुदानित सोलर पंप बेचने के लिए राज्य सरकार उद्योगों को निविदा प्रक्रिया के माध्यम से अधिकृत करती रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने नीति बदलाव कर कंपनियों को अधिकृत करने का काम अपने हाथ में लिया। इतना ही, केंद्र सरकार के एमएनआरआई विभाग में निविदा के लिए 150 करोड़ रुपए सालाना कारोबार की शर्त भी जोड़ दी, जबकि छोटे उद्योगों यह शर्त पूरा करने में समक्ष नहीं है। ऐसे में प्रदेश की सोलर पंप इकाइयां निविदा की रेस से ही बाहर हो जाएगी। काबिलेगौर है कि केंद्र सरकार ने योजना का नाम भी बदलकर प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना (पीएमकेएसयूएम) कर दिया है। राजस्थान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग सौर ऊर्जा संस्था, जयपुर के अध्यक्ष नरेंद्र का कहना है कि इस साल देश में 1.75 लाख अनुदानित सोलर पंप लगाए जाएंगे। राजस्थान को 25,000 सोलर पंप आवंटित किए गए हैं। इसके लिए निविदा की आखिरी तारीख 11 सितंबर है। लेकिन नई शर्तों की वजह से छोटी इकाइयां निविदा नहीं भर सकेगी। यह देखते हुए राज्य सरकार को अपने हिस्से के सोलर पंपों की निविदा खुद जारी करनी के लिए केंद्र को पत्र लिखना चाहिए।
संस्था के प्रवक्ता निमेश सेठ ने बताया कि अब तक राज्य सरकार का हॉर्टीकल्चर विभाग सोलर पंपों के लिए निविदा जारी करता रहा है। यह छोटे उद्योगों को प्राथमिकता देता रहा है। सोलर पंप के लिए केंद्र 30 और राज्य सरकार 45 फीसदी अनुदान देती है।