समझें: देश के पावर सरप्लस होने के बावजूद बिजली कटौती क्यों ?
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इस साल देश में बिजली की औसत मांग आपूर्ति से कम रहने की घोषणा की गई है, इससे देश पहली बार पावर के लिहाज से सरप्लस हो जाएगा। हालांकि, बहुत से क्षेत्रों में बिजली कटौती की जाएगी और कुछ क्षेत्रों में बिजली है ही नहीं। यह कुछ इसी तरह है कि देश में कार कंपनियां मांग से अधिक सप्लाइ करती हैं। हाइलाइट्स• नॉन-पीक घंटों में 1.1 प्रतिशत और पीक घंटों में 3.1 प्रतिशत का पावर सरप्लस होगा। • पश्चिम, दक्षिण क्षेत्र सरप्लस रहेंगे और बाकी क्षेत्रों में कटौती होगी। • जेनरेशन की कपैसिटी बहुत अधिक है। • उज्जवल डिस्कॉम स्कीम की शुरुआत की जा चुकी है। सरिता सिंह देश में इस साल बिजली की औसत मांग आपूर्ति से कम रहने की घोषणा की गई है, इससे भारत पहली बार पावर के लिहाज से सरप्लस हो जाएगा हालांकि, बहुत से क्षेत्रों में बिजली कटौती की जाएगी और कुछ क्षेत्रों में बिजली अभी है ही नहीं। यह कुछ इसी तरह है कि देश में कार कंपनियां मांग से अधिक सप्लाइ करती हैं, लेकिन बहुत से लोगों के पास एक भी गाड़ी नहीं है। पावर का मुद्दा अधिक जटिल है आइए कोशिश करते है पूरे मामले को समझने की। 'देश में पहली बार पावर सरप्लस' देश में पहली बार 2016-17 में नॉन-पीक घंटों में 1.1 प्रतिशत और पीक घंटों में 3.1 प्रतिशत का पावर सरप्लस होगा। लगभग 50 प्रतिशत राज्य सरप्लस होंगे, बाकी में बिजली कटौती होगी। पश्चिम और दक्षिण क्षेत्र सरप्लस रहेंगे और बाकी क्षेत्रों में कटौती होगी। सीईए के अनुमान का आधार राज्यों से मिली जानकारी को सीईए ने अनुमान का आधार बनाया गया है। राज्यों की मांग के आधार पर देश की कुल मांग का अनुमान लगाया गया है। पूरे मामले में पेंच यह है कि कोई भी राज्य शायद उतनी बिजली नहीं मांगेगा जितनी वहां के लोग चाहते हैं जिसकी वजह घाटे को कम करना भी है। लोगों को बिजली की कितनी जरुरत है यह जानकारी ग्रिड से जुड़ी हुई नहीं होती है। जेनरेशन के आंकड़े भारत में जेनरेशन की कपैसिटी बहुत अधिक है और करीब 300 गीगावॉट की इंस्टॉल्ड कपैसिटी बेकार पड़ी है। पावर प्लांट्स कपैसिटी के 64 प्रतिशत पर काम कर रहे हैं। गैस पर चलने वाले प्लांट्स का बहुत कम इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही करीब 50 गीगावॉट कपैसिटी कुछ समय में शुरू होने वाली है। भारत सरकार की योजना साल 2022 तक 175 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी कपैसिटी तैयार करने की है। इसके बावजूद क्यों होती है बिजली कटौती? देश में पावर की कोई कमी नहीं है लेकिन पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां (डिस्कॉम) नकदी की कमी का सामना कर रही हैं जिस वजह से वो बिजली नहीं खरीद सकतीं। डिस्कॉम्स लोड-शेडिंग करना पसंद करती हैं क्योंकि पूरी पावर सप्लाई करना घाटे का सौदा है। डिस्ट्रिब्यूशन को फायदेमंद बनाने के लिए टैरिफ को बढ़ाने की जरूरत है। कई बार ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन की रुकावटों की वजह से पावर सप्लाई रुक जाती है। बिजली की चोरी होने के कारण कमर्शल लॉस भी काफी अधिक है। इन समस्याओं का हल किया जा रहा है डिस्ट्रिब्यूशन फर्मों को घाटे से उबारने के लिए उज्जवल डिस्कॉम स्कीम की शुरुआत की जा चुकी है। कोयले की सप्लाइ में बढ़ोतरी की गई है और पावर प्लांट्स को गैस सप्लाई भी की जा रही है। ग्रामीण इलाकों के बिजलीकरण में तेजी लाई गई है और हजारों गांवों को ग्रिड से जोड़ा जा चुका है। हाल के वर्षों में जेनरेशन कपैसिटी काफी बढ़ी भी है। दूरदराज के इलाकों में बिजली ऑफ-ग्रिड सोलर और विंड एनर्जी से पहुंचाई जा रही है।