सौर ऊर्जा से जगमग अलीगढ़ यूनिवर्सिटी
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने खुद का सोलर पावर प्लांट स्थापित करके बिजली की कमी और बढ़ती दरों से निपटने का फैसला किया है. बिजली की कटौती से परेशान यूनिवर्सिटी की ये पहल दूसरों को भी रास्ता दिखा रही है.
वैसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अकसर खबरों में रहता है क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा मुस्लिम छात्र यहीं पढ़ते हैं. इस बार लेकिन एएएमयू एक अलग वजह से चर्चा में है.
एएमयू में दो सोलर पावर प्लांट लगाये गये हैं जिनकी कुल क्षमता 4.5 मेगावाट है. इन पावर प्लांट ने चार महीने में औसतन दस लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया है. 3 मेगावाट का एक प्लांट रीडिंग क्लब फील्ड के पास लगाया गया है, दूसरा प्लांट यूनिवर्सिटी की 16 भवनों की छतों पर सोलर पैनल लगा कर संचालित किया जा रहा है. इन प्लांटों पर यूनिवर्सिटी का कोई पैसा नहीं लगा और इसके लिए पैसा भारत सरकार की तरफ से मिला है.
भारत के अव्यावसायिक क्षेत्र और किसी भी शिक्षण संस्थान में सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट है. एएमयू में इसके लिए ग्रीन यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट समिति बनायी गयी है. इसके संयोजक डॉ. मोहम्मद रेहान बताते हैं कि औसतन रोज 20,000 यूनिट का उत्पादन हो रहा है. इससे बिजली की बचत और साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी हो रहा है. इतनी बिजली के उत्पादन का मतलब है कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में प्रतिदिन 17,000 किलोग्राम की कमी. डॉ. रेहान के अनुसार बहुत से शिक्षण संस्थानों और अन्य संगठनों ने भी इस सोलर पावर मॉडल को अपने यहां लगाने के लिए संपर्क किया है.
एएमयू एक आवासीय विश्वविद्यालय है. यहां लगभग 30,000 छात्र हैं और हॉस्टल में रहते हैं. छात्रों से बिजली का बिल नहीं लिया जाता. यहां 15 फैकल्टी और 100 से ऊपर विभाग हैं. ऐसे में बिजली का खर्च भी बहुत ज्यादा है. एक साल का औसतन बिजली का बिल 26 करोड़ आता है. एएमयू की कोशिश है कि इसको कम किया जाए. यह तभी हो सकता है जब बिजली की बचत की जाए और अन्य स्रोतों से बिजली पूरी कर ली जाए. एएमयू में एक यूनिट बिजली की कीमत 6.44 रुपये है. पिछले चार महीने में 10 लाख से ज्यादा यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है, मतलब लगभग 60 लाख रुपये की सीधी बचत.
आने वाले दिनों में धीरे धीरे बिजली की बचत बढ़ाने और सोलर पावर की तरफ और कदम बढ़ाने की योजना है. सोलर पावर की तरफ भारत सरकार का भी ध्यान है. बिजली की मांग बढ़ती जा रही है और सौर उर्जा का विकल्प ही दिख रहा है.
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने अपने बजट भाषण में बताया है कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार प्रतिदिन 33-34 करोड़ यूनिट बिजली प्रदेशवासियों को दे रही है. ये गत वर्ष से 20 प्रतिशत ज्यादा है. प्रदेश सरकार का दावा है कि अक्टूबर 2018 से 24 घंटे बिजली उपलब्ध होगी और यही नहीं 2019 से हर प्रदेशवासी को बिजली मुहैया करवा दी जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई अवसर पर कहा है कि प्रदेश में अब वीआईपी कल्चर खत्म कर दिया गया है और अब सबको सामान रूप से बिजली उपलब्ध करायी जाएगी. वर्तमान में बिजली की कमी 10 प्रतिशत बतायी जाती है. मांग अधिकतम 37-38 करोड़ यूनिट प्रतिदिन है.